हम सभी के जीवन मे अनुशासन और प्रेरणा का बहुत महत्व है। इन दोनों के द्वारा जीवन में आशा संचार होता है। विशेष रूप से विद्यार्थी जीवन में अनुशासन और प्रेरणा का बहुत अधिक महत्व है। यहाँ तक कि प्रकृति में भी हमें अनुशासन और प्रेरणा का महत्व दिखता है। सूर्य निरन्तर अनुशासन से उदित और अस्त होते हुए पृथ्वी के समस्त प्राणियों को अनुशासन बनाने की प्रेरणा प्रदान कर रहे हैं, औषधीश लगातार अनुशासन से अपनी शीतलता बनाये रखे हैं, नदियां समुद्र रूपी प्रेरणा से अनुशासन पूर्वक बहती जा रही हैं, वृक्ष, पौधे, प्राचीन भारतीय ज्ञान परम्परा से लेकर अर्वाचीन काल या अब तक हमें अनेक उदाहरण ऐसे मिलते हैं जिनसे जीवन में अनुशासन और प्रेरणा की महत्ता स्पष्ट होती है। कुछ अपने पूर्वजों को हम देखें तो जितने भी महान महर्षि, ब्रह्मर्षि, ऋषि, मुनि, महामुनि हैं उन सभी के जीवन मे अनुशासन का अत्यधिक महत्व है। साथ ही अपने पूर्वजों का महान और गौरवपूर्ण इतिहास उन्हें निरन्तर प्रेरणा प्रदान करता है। ये अनुशासन और प्रेरणा उन्हें नित्य सत्यान्वेषण की उत्कर्ष अवस्था मोक्ष एवं उससे भी उच्चतम अवस्था तक ले जाते हैं।।
ध्यातव्य है कि हमारे जीवन में सबके लिए अनुशासन और प्रेरणा अलग-अलग निहितार्थ हो सकते हैं किन्तु एक सार्वभौमिक अर्थ में यदि देखा जाय तो जहां अनुशासन को एक नियमित दिनचर्या एवं निर्धारित लक्ष्य के प्रति समर्पण को मान सकते हैं। इसमें सन्देह नहीं कि महर्षि...महामुनि की दिनचर्या बहुत ही उच्चतम हुआ करती थी। और यदि हम बहुत प्राचीन इतिहास में न जाना चाहें तो अभी के 131 वर्ष पूर्व के एक सनातन परम्परा के महान सन्यासी स्वामी विवेकानंद के जीवन को देख सकते हैं। उनके पूर्व उनके पूज्य गुरुदेव ठाकुर श्रीरामकृष्ण परमहंस एवं माँ शारदा के जीवन को देख सकते हैं। स्वामी शिवानन्द, श्री अरविन्द, स्वामी गोपालकृष्ण गोस्वामी जी महाराज, महावतार बाबा, भाई श्री हनुमान प्रसाद पोद्दार जी, श्री राधा बाबा माननीय एकनाथ जी आदि ऐसे कई महान पुरुष हैं जिनके जीवन मे अनुशासन और प्रेरणा के महत्व को हम देखते हैं। अब आपको ये लग रहा होगा कि केवल सन्यासी और महात्मा के ही जीवन में हम अनुशासन और प्रेरणा को देख रहे हैं। तो आइए बात करते हैं अनुशासन और प्रेरणा का सांसारिक जीवन मे क्या महत्व है